(रोला गीत) सर्व धर्म-समभाव, कहे आजाद तिरंगा
रोला गीत
बैर भाव को त्याग,रखें बस तन-मन चंगा
सर्व धर्म-समभाव, कहे आजाद तिरंगा
बच्चे चलते साथ ,लिए हाथों में झंडा
गपशप में हैं व्यस्त,हँसी का कोई फंडा
बचपन है मासूम ,दिलों में निर्मल गंगा
सर्व धर्म-समभाव, कहे आजाद तिरंगा
उजले हैं परिधान,भावना दिल में उजली
मुख पर है मुस्कान,न कोई कलुषित बदली
बाल हृदय से दूर ,सुलगता द्वेष पतंगा
सर्व धर्म-समभाव, कहे आजाद तिरंगा
धर्म वर्ग के भेद, रहित होते हैं बच्चे
तोड़ें हम ही लोग ,सूत्र होते जो कच्चे
जाति पाँति के बीज ,उगा भड़काते दंगा
सर्व धर्म-समभाव, कहे आजाद तिरंगा
आजादी का पर्व,मनाता भारत मेरा
देश प्रेम का भानु,डालता मन में डेरा
सभी मनाते जश्न, मसूरी या दरभंगा
सर्व धर्म-समभाव,कहे आजाद तिरंगा
ध्वज है अपनी जान, इसी से चौड़ा सीना
भारत की ये शान ,इसी पर मरना जीना
हम हैं इसके लाल , न लेना हम से पंगा
सर्व धर्म-समभाव, कहे आजाद तिरंगा
————राजेश कुमारी