कहानी

मौत से जब सामना हुआ

सुबह का काम निपटा कर राधिका सासु मां से डरते डरते कमरे में आराम करने आई ,सासु मां अभी भी रसोईघर में ऐसे ही बर्त्तनों के साथ उल्झे हुए थे। काम तो सारा राधिका ने कर दिया था वो जो मन में आए वो काम करते थे। काम न भी हो तो इधर उधर का काम करने लगते। उनको आराम करना कम पसंद था। पति तो सुबह ही खाना लेकर चले जाते थे फिर घर की सफाई और रसोईघर साफ कर के राधिका आराम करती थी कुछ देर के लिए क्योंकि फिर बच्चों के लिए उनकी पसंद का खाना भी बनाना होता था। पानी भी भरना होता था। कपड़े धोने होते थे, तो वो सफाई का काम कम करती थी जिससे सारा काम भी हो जाए बिना किसी मुशकिल के। राधिका जैसे ही सोने लगी उसे कुछ अजीब सा महसूस हुआ पर राधिका ने उस ओर ध्यान नहीं दिया और चुपचाप आँखें बंद करके आराम करने लगी।

अचानक उसे नींद में ही लगा कि वो गहरी नींद में जा रही है शायद बेहोशी की हालत थी वो उठना चाह रही थी पर उठ नहीं पा रही थी । बच्चों के लिए कुछ बनाना है यह ख्याल भी उस वक्त आ रहा था। फिर उसे लगा कि उसके दिल की धड़कन बंद हो रही है दर्द भी महसूस होने लगा था सीने में लग रहा था जैसे कोई शरीर से प्राण निकाल कर ले जा रहा है। खुद को उस अवस्था से उभारने की बहुत कौशिश की पर लगा अब मरने वाली है। शायद ऐसे ही होता होगा जो कहते हैं कि सोते सोते ही जान चली गई। उसी कुछ पल में ही राधिका के मन में कितने सवाल कितने ही ख्याल एकदम से आने लगे थे । औहो मैं मरने लगी हूँ अभी घर साफ करने के लिए पुराने से गंदे से कपड़े पहने थे, थकावट की वजह से सोचा कि आराम करने के बाद उतारती हूँ क्या उन्हीं कपड़ों में मेरे मृत शरीर को बिस्तर से उतारते।

सब जाने क्या बात करते कि कितने पुराने से कपड़े पहने है। अभी तो वो तीन सूट कितनी देर के बाद अपनी मर्ज़ी के बनवाए थे वो रह जाते ऐसे ही उनको तो पहना भी नहीं था। वो मेरी अलमारी उसमे तो कितने दिनों से सामान अस्त व्यस्त पड़ा है सोच रही थी संभालने के लिए । मेरे मरने के बाद जो देखता कितनी बाते करता। थोड़ी देर तो बहुत हाय तौबा होती फिर सब अपने अपने काम और बातों में व्यस्त हो जाते। क्या किसी को भी फर्क पड़ता शायद नहीं। दिल से शायद किसी को नहीं। मौहल्ले में भी एक दिन तो यही बात होती कि आज ही सुबह देखा था क्या हो गया और जाने क्या क्या बस फिर सभी अपने अपने काम में व्यस्त हो जाते । फिर बच्चों की तरफ ध्यान गया उनका क्या होता वो अच्छी ज़िन्दगी जी पाते उनकी ज़िद्दें कौन पूरी करता।

फिर धीरे धीरे हौश वापिस आने लगा था खुद को ध्यान से देखा कि कोई दर्द तो नहीं है । बाहर भी नज़र दौड़ाई सब पहले जैसा था बस समझ नहीं आ रहा था कि मेरे साथ क्या हुआ है। शायद गहरी नींद में कोई दबाब पड़ रहा था दिल पर या सचमुच मौत से सामना हुआ था और ज़िन्दगी की सच्चाई समझ आ गई थी। काफी देर तक वो अपने आप को देख रही थी। पति को जब सुनाया तो उन्होने कहा डाक्टर के पास चलने को कहा और कहा कि पूछ लो कि कुछ हुआ है? पर डाक्टर ने भी जांच कराने के लिए कहा था कि पता चल सके क्या हुआ है पर किसी भी बात का असर उस कुछ पल के हादसे के बाद सब अजीब और खोखला सा लग रहा था मानो ज़िन्दगी की कड़वी सच्चाई से रूबरू करा दिया हो।

कामनी गुप्ता 

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |