गीत : मित्रता दिवस पर
(मित्रता दिवस पर अपने मित्र जितेंद्र यादव को समर्पित मेरी कविता)
माँ की ममता प्यार बहन का, बाबू जी से सीख मिली,
रिश्तों की सुनवाई करती हमको हर तारीख मिली
चाचा चाची मौसा मौसी रिश्ते भी सब ख़ास रहे,
खूँ के रिश्तों के संग में ही माना सब अहसास रहे
लेकिन दिल की सुनने को दिलदार जरुरी होता है,
इस मतलब की दुनिया में इक यार जरुरी होता है
यार मुझे तू, सागर में मोती का दाना लगता है,
जीवन जीने का सबसे मजबूत बहाना लगता है
मैं गरीब था पर चाहत का सोना तूने दिया मुझे,
दुनिया ने ठुकराया, अपने दिल में कोना दिया मुझे
तू मेरी हर एक ज़रूरत पल में जाना करता था,
बिना बताये चुपके-चुपके फीस हमारी भरता था
खुद के लिए खरीदे कपडे मुझको यूँ पहनाता था
छोटे हैं साइज़ में थोड़े, कहकर के बहलाता था
जब अतीत के पन्ने पढ़कर नैना रोने लगते हैं
तेरी यारी के आगे सब रिश्ते बौने लगते हैं
उलझन का ताला तेरी चाबी से खोला करता हूँ,
जो माँ से भी बोल न पाऊँ तुझसे बोला करता हूँ
राज़दार है, समझदार है, मेरी अमिट कहानी है,
मैं जमुना की धार अगर हूँ, तू गंगा का पानी है
आज भले ही खड़ा हुआ हूँ पैरों पर, खुशहाली है,
लेकिन तेरे बिन यारा ये जीवन खाली खाली है
रिश्ते नाते, झगड़े लफ़ड़े, दुनियादारी बनी रहे,
लेकिन यही दुआ है, यारा अपनी यारी बनी रहे
— कवि गौरव चौहान
सुंदर गीत!!!