तब-तक जिन्दगी यूँ ही इस दुनिया में भटकती रह जायेगी।
तब-तक जिन्दगी यूँ ही इस दुनिया में भटकती रह जायेगी।
जब-तक अधिकारी अपने अधिकार को समझ नहीं पायेगे।
किसी की बेबसी, लाचारी ,मजबूरिया पटकती रह जायेगी।
जब-तक हर कर्मी अपने अन्दर ईन्सानियत रख नहीं पायेंगे।