ग़ज़ल : अजब ज़िन्दगी का गज़ब फ़लसफ़ा है
अजब ज़िन्दगी का गज़ब फ़लसफ़ा है
हँसे तो इबादत वगरना सजा है
वही जीत पाया है हर इक लड़ाई
मिलाकर कदम वक़्त से जो चला है
लगी आग दोनों तरफ़ हो बराबर
मुहब्बत में तब तो मज़ा ही मज़ा है
जिसे खैरख्वाह हमने अपना बनाया
सियासत वही आदमी कर रहा है
मुहब्बत समझिये न आसान ‘माही’
ये ख़ार और गम से भरा रास्ता है
सुन्दर गजल!!!!!!!
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल !
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल !