गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : अजब ज़िन्दगी का गज़ब फ़लसफ़ा है

अजब ज़िन्दगी का गज़ब फ़लसफ़ा है
हँसे तो इबादत वगरना सजा है

वही जीत पाया है हर इक लड़ाई
मिलाकर कदम वक़्त से जो चला है

लगी आग दोनों तरफ़ हो बराबर
मुहब्बत में तब तो मज़ा ही मज़ा है

जिसे खैरख्वाह हमने अपना बनाया
सियासत वही आदमी कर रहा है

मुहब्बत समझिये न आसान ‘माही’
ये ख़ार और गम से भरा रास्ता है

महेश कुमार कुलदीप

स्नातकोत्तर शिक्षक-हिन्दी केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक-3, ओ.एन.जी.सी., सूरत (गुजरात)-394518 निवासी-- अमरसर, जिला-जयपुर, राजस्थान-303601 फोन नंबर-8511037804

3 thoughts on “ग़ज़ल : अजब ज़िन्दगी का गज़ब फ़लसफ़ा है

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूबसूरत ग़ज़ल !

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूबसूरत ग़ज़ल !

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