झंडा ऊंचा रहे हमारा
प्रिय बच्चो,
जय हिंद,
आप अपने स्कूलों में आजादी की 70वीं सालगिरह मनाने की तैयारी कर रहे होंगे. राष्ट्रगान और ”सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हामारा” गीत को सही ढंग से गाने की प्रैक्टिस भी चल रही होगी. ”झंडा ऊंचा रहे हमारा” गीत तो आपको याद ही होगा. अपने देश के राष्ट्र-ध्वज तिरंगे झंडे से हम बहुत प्यार करते हैं, पर क्या आप जानते हैं, कि उसे बनाया किसने था? इस तिरंगे को डिजाइन करने वाले का नाम था पिंगली वैंकेया. 2 अगस्त 1876 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में इनका जन्म हुआ. वेंकैया ने राष्ट्रीय ध्वज के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से सलाह ली और गांधी जी ने उन्हें इस ध्वज के बीच में अशोक चक्र रखने की सलाह दी जो संपूर्ण भारत को एक सूत्र में बांधने का संकेत बने. उन्होंने 5 सालों तक 30 देशों के झंडों पर रिसर्च किया और इस रिसर्च के नतीजे के तौर पर भारत को राष्ट्रध्वज तिरंगा मिला. इसी तिरंगे की छत्रछाया में हमें आजादी मिली और हम गा सके-
”भारत अपनी जन्मभूमि है, भारत ने ही पाला
गीत इसी के गाएंगे हम, देश है अपना प्यारा.”
अपनी आजादी को कायम रखने के संदेश के साथ अब हम विराम लेते हैं. हरि-इच्छा रही, तो फिर अगले महीने मिलेंगे, कुछ नई बातों के साथ. स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाओं के साथ,
आपकी नानी-दादी-ममी जैसी
-लीला तिवानी
बहुत अच्छी जानकारी. वह भी संक्षिप्त में. बधाई .
लेख में दी गई जानकारी के लिए हार्दिक धन्यवाद्। सादर।
प्रिय मनमोहन भाई जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.
प्रिय ओमप्रकाश भाई जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.
लीला जी, सादर प्रणाम
बहुत अच्छी जानकारी दी आपने अपने राष्ट्रिय ध्वज के बारे में। बहुत अच्छा लेख।
प्रिय सखी परवीन जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.
बहुत बढ़िया और ज्ञानवर्धक लेख जो न सिर्फ बच्चों के लिए बल्कि हम जैसे बड़ों के लिए भी है । स्कूल के दिनों में तो हर साल स्वतंत्रता दिवस और स्वाधीनता दिवस के पूर्व गुरुजन उसके बारे में बहुत कुछ बताते और रटाते थे ।लेकिन जीवन की आपाधापी में सभीकुछ विसर जाता है । बढ़िया लेख के लिए धन्यवाद !
प्रिय राजकुमार भाई जी, सच है, भूली-बिसरी यादों को ताज़ा करने के लिए ही विशेष दिवस मनाए जाते हैं. अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.
प्रिय राजकुमार भाई जी, सच है, भूली-बिसरी यादों को ताज़ा करने के लिए ही विशेष दिवस मनाए जाते हैं. अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.
आभार आपका
प्रिय सखी मनजीत जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.
लीला बहन , बाल शिक्षा तो यह है ही लेकिन हम बड़ों को आज तक यह पता ही नहीं था किः हमारे कौमी झंडे को डिजाइन करने वाला आंध्रा परदेश का जम पल पिंगली वैंकेया नामक विद्वान था . इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .
प्रिय गुरमैल भाई जी, अति सुंदर, प्रोत्साहक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.