एक दोहा मुक्तक……..
प्रदत शीर्षक- हौसला , उम्मीद , आशा , विश्वास , आदि समानार्थी
हौसलों को संग लिए, उगा हुआ विश्वास
चादर है उम्मीद की, आशा तृष्णा पास
दो पैरों पर चल रहा, लादे बोझ अपार
झुकती हुई कमर कहें, कंधा खासमखास॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
प्रदत शीर्षक- हौसला , उम्मीद , आशा , विश्वास , आदि समानार्थी
हौसलों को संग लिए, उगा हुआ विश्वास
चादर है उम्मीद की, आशा तृष्णा पास
दो पैरों पर चल रहा, लादे बोझ अपार
झुकती हुई कमर कहें, कंधा खासमखास॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी