चित्र अभिव्यक्ति आयोजन
सतरंज के विसात पर, मोहरे तो अनेक
चलन लगी है चातुरी, निंदा नियत न नेक
निंदा नियत न नेक, वजीर घिर गया राजा
गफलत का है खेल, बजाए जनता बाजा
गौतम घोड़ा साध, खेल में खेल न रंज
राजा को दे मात, अढ़ैया पढ़ें सतरंज॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी