लघुकथा

लघुकथा : बचाओ

‘ नारायण-नारायण ‘ का नाम जप करते नारद एक दिन भगवान के पास पहुँच गये | नारद को देखकर भगवान ने कहा- हे नारद ! तुम भी नारायण-2 का नाम बोलना छोड़कर ‘ बचाओ-बचाओ ‘ बोलना आरंभ करदो | जैसे आजकल मृत्युलोक से केवल ‘बचाओ-बचाओ’ की ध्वनियां ही सुनाई दे रही है |भगवान की रहस्यमयी वाणी को सुनकर नारद , मुस्कराकर ‘नारायण-नारायण’ बोलने लगे | भगवान ने कहा – नारद पता लगाओ कि मृत्युलोक मे क्या कष्ट है जो वहाँ का इंसान “बचाओ-बचाओ” की रट लगाने लगा है | भगवान के वचन सुन नारद ने कहा- भगवन ! उन्हें शायद अब कोई भी नहीं बचा सकता , आप भी नहीं | अरे, ये क्या कहते हो ! मैं भी नहीं !! ये कैसे हो सकता है !!! हाँ भगवन , क्योंकि उन्होंने कर्म ही ऐसे किए हैं | भगवन बोले – चलो मान लेता हूँ पर ये तो बताओ , वे लोग किसे बचाने की कह रहे हैं | प्रभू तो सुनिये नारद ने कहा – ” बेटी बचाओ, पानी बचाओ, जंगल बचाओ (पर्यावरण बचाओ) , बाघ बचाओ, गोरैया बचाओ…बचाने की सूची और भी लम्बी है भगवन… ये सब सुनकर भगवान स्वयं चिन्ता में पड़ गये और कहने लगे – नारद तुमने सच कहा, उन्हें अब मैं भी नहीं बचा सकता…

विश्वम्भर पाण्डेय ‘व्यग्र’
कर्मचारी कालोनी, गंगापुर सिटी,
स.मा. (राज.)322201
MOB :- 9549165579

विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र'

विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र' कर्मचारी कालोनी, गंगापुर सिटी,स.मा. (राज.)322201

2 thoughts on “लघुकथा : बचाओ

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    प्रभू तो सुनिये नारद ने कहा – ” बेटी बचाओ, पानी बचाओ, जंगल बचाओ (पर्यावरण बचाओ) , बाघ बचाओ, गोरैया बचाओ…बचाने की सूची और भी लम्बी है भगवन… ये सब सुनकर भगवान स्वयं चिन्ता में पड़ गये और कहने लगे – नारद तुमने सच कहा, उन्हें अब मैं भी नहीं बचा सकता… बहुत ऊंची बात कह दी ……………..

    • विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र'

      आद.गुरमेल सिंह जी आपका बहुत-2 धन्यवाद !

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