ग़ज़ल
दे हवा आतंक को कुर्सी बचाता कौन है
देश को ही बेच अपना घर चलाता कौन है 1
रोटियों की खोज में शहरों में आकर बस गए
गांव की पहचान को जड़ से मिटाता कौन है 2
बात सारे कर रहे हैं चाँद तारों की मगर
चाँद पर जाकर भला बस्ती बसाता कौन है 3
डिग्रियां पाने की खातिर फेंकते हैं नोट भी
पाँव धरती से उठा आकाश पाता कौन है 4
आज अंग्रेजी बिना होता नहीं है काम कुछ
बोलिए हिंदी को फिर बंदी बनाता कौन है 5
सड़ रहा है अन्न सरकारी गोदामों में पड़ा
देश में हर रोज महंगाई बढ़ाता कौन है 6
दान करते धर्म करते और पूजा भी रमा
पर दुआ माँ बाप की जग में कमाता कौन है 7
रमा प्रवीर वर्मा…..
खूबसूरत रचना के लिए बधाई