मनोरम दृश्य बनाकरके सबके मन को तरसा रही है
सुबह की किरणों ने खुशबू बिखेरती यहाँ आ रही है।
चिड़ियों की मधुर आवाज़ ने अपनी वाणी सुना रही है।
भाष्कर का दर्शन पाते ही अंधकार चला गया यहाँ से,
स्वच्छता का प्रतीक बना नभ,फसले यहाँ लहरा रही है।
मनोरम दृश्य बनाकरके सबके मन को तरसा रही है ॥१॥
बन्दन,अभीनन्दन किया सबको पौधों ने शीष हिलाकर।
चमन सबको करते हुए, अब सुबह की बहार लाकर।
प्रात:काल में सभी प्राणियों को ताजा कर करके वो,
अपनी स्वर्णमय आभा से यहाँ सबको नहला रही है।
मनोरम दृश्य बनाकरके सबके मन को तरसा रही है ॥२॥
सभी लोगों के शरीर से आलस्य को दूर भगा- करके।
एक नई जोश,नई ताजगी सबके मन में ला करके।
दिनभर कार्य करने के लिए सबको फुर्तीला बनाती है,
अच्छा सा माहौल बनाकर, सबका मन बहला रही है।
मनोरम दृश्य बनाकरके सबके मन को तरसा रही है ॥३॥
_______ ___ ________________ रमेश कुमार सिंह