गीत
तेरी सूरत की एक मूरत मैंने दिल में बसाई है
जब से दूर गई है तूँ बहुत ही याद आई है
दिन में खोया रहता हूँ,रातों को नींद नहीं आती
बारिश में लेटा रहता हूँ,फिर भी प्यास नहीं जाती
आईना देख मेरी आँखे फिर से भर आईं हैं
तेरी सूरत की एक मूरत मैंने दिल में बसाई है
जब से दूर गई है तूँ बहुत ही याद आई है
कुछ खाता हूँ ना पीता हूँ बस सोच में डूबा रहता हूँ
चलते-चलते गिर जाता हूँ फिर खुद से कुछ यूँ कहता हूँ
मैं क्यूँ इसको ना छू पाता कैसी परछाई है
तेरी सूरत की एक मूरत मैंने दिल में बसाई है
जब से दूर गई है तूँ बहुत ही याद आई है
लबों पर तेरा नाम रहे,पलकों पर तेरी कहानी है
मुझको कुछ ना प्यारा है,ये दुनिया बेगानी है
मैंने ये दास्ताँ सबको सुनाई है
तेरी सूरत की एक मूरत मैंने दिल में बसाई है
जब से दूर गई है तूँ बहुत ही याद आई है
— परवीन माटी