चिट्ठी
चिट्ठी एक वक्त था तबशब्दों के साथ एहसास भीछप जाया करते थे कागज परआज शब्द तो हैं लेकिन एहसास नहीं
Read Moreगरीबी जो है वह दुख नहीं हैअमीरी जो है वह सुख नहीं है क्षमा करें,मैं इन दोनों में थोड़ा फर्क
Read Moreफिर लिखूंगा!कहां से लाऊं?वो वक्त जबअलंकारों का आयोजन होता थामन और बुद्धि के बीच!अब तोकंपनी ने मेरा वक़्त खरीद रखा
Read Moreएक जगह होनी चाहिए जहां परआपको सुकून का अनुभव होता होजहां पर आप अपने आप से मिल सकेंजहां आपके अंदर
Read Moreधीरे-धीरे आप खुद को दूर कर लेते हैं तमाम रिश्तों सेजिनके साथ आप पले बढ़ेक्योंकि वो आपकी मजबूरी बन जाती
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