कविता

परिस्थितियां

कुछ परिस्थितियां ऐसी होती हैं
जिन्हें आप बदल भी नहीं सकते
बहाव के साथ ही जाना होता है
आप फिर संभल नहीं सकते
लाख जतन के बाद भी
उनसे बाहर भी नहीं आ सकते
इस वक्त का विलाप
किसी के समक्ष नहीं गा सकते
इसमें जीना भी किसी मुश्किल
भरी उलझन से कम नहीं है
हथियार अगर डाल दिए तो
तुम्हारी भुजाओं में दम नहीं है
ये कहकर समाज
दम घोंट देगा प्रयत्नशील सांसों का!

फिर भी जीना है

बस जिंदगी दो निश्चित
आयामों के बीच
सरल आवर्त गति करती रहती है

 

प्रवीण माटी

नाम -प्रवीण माटी गाँव- नौरंगाबाद डाकघर-बामला,भिवानी 127021 हरियाणा मकान नं-100 9873845733