एक कुंडलिया………
अमर वीरता कुर्बानी, देश हुआ आजाद
प्रतिपल ताजी याद में, सीमा है आबाद
सीमा है आबाद, सिपाही सीना ताने
हर बेटा खुशहाल, निछावर करना जाने
कह गौतम कविराय, रुलाए आपसी समर
माँ भारती हिताय, बलिहारी सपूत अमर॥
— महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
अमर वीरता कुर्बानी, देश हुआ आजाद
प्रतिपल ताजी याद में, सीमा है आबाद
सीमा है आबाद, सिपाही सीना ताने
हर बेटा खुशहाल, निछावर करना जाने
कह गौतम कविराय, रुलाए आपसी समर
माँ भारती हिताय, बलिहारी सपूत अमर॥
— महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी