देश प्रेम
देश प्रेम की सभी बच्चों में आग तो देखो।
देश प्रेम की कभी बजाकर राग तो देखो।।
हर तरफ लगी है होड़ सत्ता हथियाने की ।
कौन कर रहा शतरंजी गुणा भाग तो देखो।।
किस पर करे यकीं किस पर रखे भरोसा ।
आस्तीनों में पल रहे विषैले नाग तो देखो।।
देश सेवा के नाम पर सींक रही है रोटियाँ।
छीनने को हर डाल पर बैठे काग तो देखो।।
दूर नही चमन हो जाएगा हिन्दोस्ताँ अपना ।
वतन के प्रति ही जगाकर अनुराग तो देखो ।।
“दिनेश”