सीमा पर तैनात और सियाचिन के जवानों को समर्पित
दुनिया की रंगरलियों से दूर
जहाँ कुदरत की बजती है सरगम,
ऑक्सीजन हवा में कम है
फिर भी दोगुना जोश और दम है
ताममान शून्य से भी नीचे है
फिर भी होंसलें कायम है–
खून में दोगुना उबाल है,
जवान तत्पर और चौकस हरदम है,
यह है मेरे देश के वीरो का जज़्बा
देश पर मर मिटने को भी तैयार है,
और हम
केवल तिरंगा फहरा कर
देश भक्ती के गीत गा कर
मिठाई खा कर
आज़ादी मना रहे हैं,
सलाम है इन वीर जवानों को
जो हर हाल में अपना कर्तव्य निभा रहे हैं,
जय हिन्द — जय प्रकाश भाटिया