क्षणिका

ज़िंदगी खुशहाल होती है

कामयाबी कामयाबी ही होती है,
छोटी-बड़ी नहीं होती है,
कामयाबी का पहला कदम मज़बूत हो,
तो कामयाबी की नींव मज़बूत होती है.

 
खुशी खुशी ही होती है,
छोटी-बड़ी नहीं होती है,
जिस खुशी में मन-मयूर नाचने लगे,
वही खुशी सच्ची खुशी होती है.

 
ठोकर ठोकर ही होती है,
छोटी-बड़ी नहीं होती है,
अक्सर ठोकर ही उन्नत्ति की राह पर,
अग्रसर करने को पथप्रदर्शक होती है.

 
गल्ती गल्ती ही होती है,
छोटी-बड़ी नहीं होती है,
अगर गल्ती सुधार ली जाए,
तो ज़िंदगी खुशहाल होती है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

6 thoughts on “ज़िंदगी खुशहाल होती है

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    बहन जी प्रणाम बहुत सुंदर सृजन

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    बहन जी प्रणाम बहुत सुंदर सृजन

  • राजकुमार कांदु

    श्रद्धेय बहनजी ! बहुत ही उम्दा रचना जिसकी हर पंक्ति एक सीख है । वाकई अगर गलती सुधार ली जाये तो जिंदगी खुशहाल हो जाएगी । आपकी सीख सर माथे पर

    • लीला तिवानी

      प्रिय राजकुमार भाई जी, यह कविता आपकी ही एक प्रतिक्रिया ”हमारी छोटी-सी सफलता को आपने अपनी सशक्त लेखनी के माध्यम से नायाब बना दिया है.” से प्रेरित होकर सृजित हुई है. अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लीला बहन , कविता बहुत अछि लगी . कविता की हर लाइन बहुत कुछ कह रही है . सकार्त्मिक सोच को परणाम .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, एक नायाब और सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

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