ज़िंदगी खुशहाल होती है
कामयाबी कामयाबी ही होती है,
छोटी-बड़ी नहीं होती है,
कामयाबी का पहला कदम मज़बूत हो,
तो कामयाबी की नींव मज़बूत होती है.
खुशी खुशी ही होती है,
छोटी-बड़ी नहीं होती है,
जिस खुशी में मन-मयूर नाचने लगे,
वही खुशी सच्ची खुशी होती है.
ठोकर ठोकर ही होती है,
छोटी-बड़ी नहीं होती है,
अक्सर ठोकर ही उन्नत्ति की राह पर,
अग्रसर करने को पथप्रदर्शक होती है.
गल्ती गल्ती ही होती है,
छोटी-बड़ी नहीं होती है,
अगर गल्ती सुधार ली जाए,
तो ज़िंदगी खुशहाल होती है.
बहन जी प्रणाम बहुत सुंदर सृजन
बहन जी प्रणाम बहुत सुंदर सृजन
श्रद्धेय बहनजी ! बहुत ही उम्दा रचना जिसकी हर पंक्ति एक सीख है । वाकई अगर गलती सुधार ली जाये तो जिंदगी खुशहाल हो जाएगी । आपकी सीख सर माथे पर
प्रिय राजकुमार भाई जी, यह कविता आपकी ही एक प्रतिक्रिया ”हमारी छोटी-सी सफलता को आपने अपनी सशक्त लेखनी के माध्यम से नायाब बना दिया है.” से प्रेरित होकर सृजित हुई है. अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.
लीला बहन , कविता बहुत अछि लगी . कविता की हर लाइन बहुत कुछ कह रही है . सकार्त्मिक सोच को परणाम .
प्रिय गुरमैल भाई जी, एक नायाब और सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.