राखी का वचन
राखी के अवसर पर बहन जब भाई को राखी बांधती है तो उस से किसी उपहार या पैसों की अपेक्षा एक वचन मांगती है। आईये देखें वो कोन सा वचन है जो राखी के त्यौहार को वास्तव में अर्थवान कर देगा।
भैया मेरे
सावन के इस मेला में
राखी के पावन बेला में
क्या मुझे एक वचन दे सकते हो
जो निभा पाओ आजीवन
वो कसम दे सकते हो
बोलो भैया
क्या मुझे एक वचन दे सकते हो
न देखोगे किसी अबला को
वासनाओं भरी नज़र से
न भटकोगे कभी
कामनाओं की डगर पे
गर देखोगे लुटती
किसी मासूम की इज़्ज़त
तो लगा दोगे दांव
उसकी अस्मिता की खातिर
ये सोचना
कि वो तुम्हारी ही बहन है
क्योंकि
हर औरत और लड़की का
एक ही तो जहन है
इसीलिए हर लड़की में
तुम्हारी ही बहन है
गर जान जाओ किसी बेजान को
कोख में मरते हुए
तो उस मासूम कन्या को
मिटने से रोक लेना
रोक लेना उन हाथों को
अपने ही भ्रूण की हत्या से
साम दाम दंड भेद
किसी भी तरीके से रोक लेना
भैया मेरे
याद रखना इस से कीमती कोई उपहार नही
तुम्हारी बहना को सोने चांदी से सरोकार नही
औरत को उसका हक़ मिल जाय
उसके सिवा मुझे कोई दरकार नही
गर दे सको ये वचन
तो सच जानो मैं तुम्हे मान जाउंगी
राखी के त्यौहार का
वास्तव में मतलब मै जान जाउंगी
बोलो भैया
क्या मुझे एक वचन दे सकते हो
जो निभा पाओ आजीवन
वो कसम दे सकते हो
#महेश कुमार माटा