कविता

कन्याकुॅवारी….

कन्याकुँवारी….

 

 

उम्र भयी अब ,

वर की चिंता ,

घर की पूँजी ,

दॉव लगाए ,

है…बाजार  ,

बिकता यहाँ दूल्हा,

कीमत लटकाए ,

आस लगाए,

खर्चें दस हैं ,

तेवर ग्यारह ,

देखा-देखी  ,

नौटंकी सारा ,

गुण हैं छत्तीस ,

दाँत हैं बत्तीस,

नुस्ख़ निकाले ,

बाज ना आए,

मुख से बोलो ,

गूंगी हो क्या,

हाथ दिखाओ,

पैर दिखाओ,

दाग नही तो,

सूट पहन आओ,

पढ़ी-लिखी तो,

पता बताओ,

दादी- नानी ,

रिश्ते समझाओ,

घर का पहिया ,

खाता –पिता,

आज मच्छी ,

कल मीठ बनाओ,

पेट भरे तो ,

जग है सुंदर,

ऐसी बहू घर को लाओ,

लड़की पंसद है ,

परिवार है खुश,

बस लड़का देख ले,

सब संतुष्ट ,

बात बढ़ी घोड़ा अब दौड़ा,

यहाँ पास हुए,

तो दहेज दस तोला,

आना-कानी ,

मान गए अब ,

लड़के के नखरें

जान गए हम,

भर-भर पेटी ,

कपड़ा –लत्ता,

पंसद ना आए सस्ता – सुबिस्ता,

सबकुछ आप हो ,

हम सेवक हैं,

शादी करलो ,

विनती करत हैं,

यही आश हम लड़की वाले,

अभी खर्चे की सिर्फ शुरूआत है,

तुम ना बोलो लड़की हो तुम,

एक औरत ही..औरत से बोले,

फिर से पहिया ,

एक पग घूमा,

तुझ घर लड़की ,

कन्याकुवाँरी,

है माया या अज्ञान है सारा,

कुछ ना बोली ,

फिर भी,

कन्याकुवाँरी ….(2) ।

  • प्रशांत कुमार पार्थ

प्रशान्त कुमार पार्थ

प्रशांत कुमार पार्थ (कवि एवं सृजनात्मक लेखक ) पटना, बिहार Contact :- prshntkumar797@gmail 8873769096 नोट:- विभिन्न पत्रिकाओं एंव प्रकाशन में सम्मिलित की गई मेरी कविताएँ :- 1.अंतराष्टिय हिंदी साहित्य जाल पत्रिका 2. मरूतृण साहित्यक पत्रिका 3. अयन प्रकाशन 4. भारत दर्शन साहित्यिक पत्रिका 5. होप्स मैगजीन 6. सत्य दर्शन त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका 7. जनकृति अंतराष्टिय हिंदी पत्रिका