विधाता छ्न्द : राखी
मापनी -१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
बहन का प्यार है राखी जहाँ नित मर्म कहता है
लगाया प्राण की बाजी हुमायूँ धर्म कहता है
विधाता छ्न्द लिख बहना चरण छू कर कहे भाई
निभा दायित्व सुरक्षा का, यही मम कर्म कहता है
— राजकिशोर मिश्र ‘राज’ प्रतापगढ़ी
१९/०८/२०१६
अच्छा छंद. इसकी तर्ज़ राधेश्याम रामायण जैसी लग रही है.
आदरणीय जी आपकी आत्मीय स्नेहिल उत्साहवर्धक पसंद प्रतिक्रिया के लिए अंतस से कोटिश आभार संग नमन
आदरणीय राधेश्यामी या मत्त सवैया छन्द मे ३२ मात्रा होती है