कविता – ‘ भारत माँ का प्यार ‘
माँ की ममता को छोड़ आया हूँ ,
लाडली सी बहन को चहकते छोड़ आया हूँ ,
अपनी भारत माँ की आंचल में लिपटने के लिए ,
अपनी माँ की वाहो को तरसता छोड़ आया हूँ ।
पुराने यादें को छोड़ आया हूँ ,
किसी के वादे को तोड़ आया हूँ ,
मुझे तो फिक्र तो रहती है अपनी भारत माँ की ,
इसलिए सारे नाते को तोड़ आया हूँ ।
जब भी हवा चलती है अपनो की ,
बहुत सारे यादें समेटे ले आती हैं ,
वह माँ की लोरी. पापा का प्यार ,
बहन की लड़ाई. पत्नी का श्रृंगार ,
बहुत याद आते है ।
शर्म करो जो लोग घर्म के नाम पर लडते हैं ,
मेहनत तो करते नहीं आरक्षण की बात करते हैं ,
दिल हमारा एक हैं एक हमारी ईमान ,
सरहद पर सभी धर्म वाले देते है जान ।
हर जगह सुनता हूँ हिन्दू मुशिलम की लड़ाई ,
में पुछता हूँ सभी से दोनों को अलग खुदा ने बनाई ,
करें कुछ एेसा सभी मिलकर अपने देश के लिए ,
तिरंगा की आन के लिए. मातृभूमि की शान के लिए ।
जय हिंद
बढ़िया !