सामाजिक

समस्या समाधान के उपाय

हम सभी अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करते हैं। वास्तव में हमारा सारा जीवन ही समस्याओं से भरा होता है। समस्याओं से जूझने में ही जीवन का आनन्द है। जिसके सामने कभी कोई समस्या नहीं होती, वह इस आनन्द से वंचित रहता है। ऐसे लोग जरा सी समस्या आ जाने पर ही हिम्मत हार जाते हैं और हताशा में कई बार गलत पग उठा लेते हैं। ऐसा करना उचित नहीं है। बहुत से लोग समस्याओं को हल करने की कोशिश नहीं करते, बल्कि उसके बारे में सोच-सोचकर चिन्तित रहते हैं। यह रवैया भी उतना ही गलत है। हमें समस्या के बारे में चिन्ता नहीं बल्कि चिन्तन करना चाहिए कि उसे कैसे हल किया जा सकता है।

समस्या चाहे जैसी भी हो हमें अपनी शक्ति भर उसको हल करने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसी कोई समस्या नहीं है जो हल न की जा सके। अगर किसी समस्या का हल सम्भव है, तो निश्चय ही उस समस्या को दूर किया जा सकता है। यदि उसका कोई समाधान ही नहीं है तो हमें उसे एक वास्तविकता अथवा जीवन का अंग मानकर स्वीकार कर लेना चाहिए और उसके साथ जीना सीख लेना चाहिए।
यहां मैं समस्याओं के समाधान की सरल विधि बता रहा हूँ, जो अनुभव पर आधारित है।

चरण 1: समस्या को समझिए
सबसे पहले तो यह देखिये कि वह समस्या क्या है? हो सके तो उस समस्या को अपने शब्दों में लिखिए। समस्या को लिख लेने के बाद यह सोचिए कि समस्या वास्तविक है या काल्पनिक है। यदि समस्या काल्पनिक है, तो उसके समाधान का कोई अर्थ नहीं है, ऐसी समस्या को तत्काल भूल जाना चाहिए और यह मान लेना चाहिए कि वह है ही नहीं। यदि समस्या वास्तविक है तो यह विचार कीजिए कि वह समस्या इस समय आपके सामने है या आगे आने वाली है। यदि समस्या आगे आने वाली है तो उसके बारे में चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। जब आपको पक्के तौर पर पता हो कि वह समस्या कब आएगी तभी उसके समाधान के बारे में सोचना चाहिए। अभी तो उन समस्याओं को देखिए जो इस समय आपके सामने हैं और जिनके समाधान की आवश्यकता है। ऐसी समस्याएं यदि एक से अधिक हैं तो उनकी सूची बना लीजिए।

चरण 2: समाधान खोजिए
समस्याओं की सूची तैयार कर लेने के बाद उनमें से प्रत्येक समस्या का सम्भव समाधान खोजिए। प्रत्येक समस्या के सामने उसका सम्भव समाधान लिखिए। हो सकता है कि किसी समस्या के एक से अधिक समाधान सम्भव हों, ऐसी स्थिति में वह समाधान लिखिए जो आपके अनुसार सबसे सरल हो। यदि किसी समस्या का कोई समाधान सम्भव नहीं है तो उस समस्या को स्वीकार कर लीजिए।

चरण 3: समाधान कीजिए
आपने प्रत्येक समस्या के लिए जो समाधान खोजे हैं, उनमें से जिन कार्यों को आप स्वयं कर सकते हैं, उन्हें कर डालिए। इससे वह समस्या हल हो जाएगी। जो समाधान आपको दूसरों से कराने हैं, उनके लिए प्रयत्न शुरू कीजिए। ऐसे अधिकांश समाधान कोशिश करने पर हो जाएंगे। हो सकता है कि कोई समाधान ऐसा हो जो कोशिश करने पर भी न हो रहा हो, तो उस समस्या को कोई वैकल्पिक समाधान खोजिए और यह प्रक्रिया दोहराइए।

चरण 4: समस्या का प्रभाव कम कीजिए
जो समस्याएं आप अपनी ओर से कोशिश करने पर भी हल नहीं कर पाये हैं, उन समस्याओं पर और अधिक गहराई से विचार कीजिए। सबसे पहले तो यह देखिए कि उनका आपके ऊपर क्या और कितना प्रभाव पड़ रहा है। यदि यह प्रभाव मामूली है और सहन किया जा सकता है, तो उसे सहन कीजिए और उसकी चिन्ता छोड़ दीजिए। यदि वह प्रभाव अधिक है, तो यह विचार कीजिए कि वह समस्या अधिक से अधिक आपकी क्या हानि कर सकती है। इससे आप उस हानि के लिए मानसिक रूप से तैयार रहेंगे। लेकिन चुप बैठ जाना भी उचित नहीं है, बल्कि यह कोशिश कीजिए कि वह हानि कम से कम हो। इस तरह आप उस समस्या के प्रभाव से अधिक से अधिक बचे रहेंगे।

कई बार किसी समस्या का समाधान करने में लगने वाला परिश्रम और व्यय उससे होने वाली हानि से भी अधिक होता है। ऐसी स्थिति में उस समस्या का समाधान करना व्यर्थ है। इससे स्थान पर हमें ऐसा मार्ग निकालना चाहिए कि वह समस्या कम परिश्रम और व्यय में हल हो जाए।

यहां हमने मोटी मोटी बातें बतायी हैं। इनकी गहराई में जाना इस लेख में सम्भव नहीं है। यदि आपके सामने कोई जटिल समस्या है तो उसका समाधान खोजने और करने में मैं आपकी सहायता कर सकता हूं।

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com

6 thoughts on “समस्या समाधान के उपाय

  • जवाहर लाल सिंह

    उपयोगी आलेख ! निश्चित ही हम सबको इसे आजमाना चाहिए.

  • राजकुमार कांदु

    आदरणीय ! समस्या के कारण और निवारण को दर्शाता एक लोकोपयोगी लेख लिखने के लिए आपका ह्रदय से आभार !

  • लीला तिवानी

    प्रिय विजय भाई जी, समस्या के समाधान के समीचीन सोपान अत्यंत सहायक सिद्ध होंगे. अति सुंदर व सार्थक रचना के लिए आभार.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    विजय भाई ,लेख बहुत पसंद आया .

  • नीतू शर्मा

    बिल्कुल सही कहा आदरणीय आपने। उत्तम ज्ञान के लिए आभार।

    • विजय कुमार सिंघल

      धन्यवाद, नीतू जी !

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