कविता

रंग ऐसा रंगों 

रंगों से तुम कभी न डरना 

रंग बदलते रंग नहीं।

तुम चाहे कितने ही बदलो 

कभी बदलते ढंग नहीं।।

एक रंग छूट कर दूजे को,

 खुद के रंग में रंग देता।

पल-पल रंग बदलते रहना 

तेरा क्या है रंग बता  ।

एक रंग के ही रहना तुम 

जो रंग तेरा पक्का हो 

उसी रंग में रमना तुम तो 

जो रंग तेरा सच्चा हो।

रंग प्रीत का सबसे बेहतर 

बस उसमें ही रम जाना। 

सूरज के आते ही जैसे 

तिमिर रात्रि का थम जाना। 

— सविता सिंह मीरा 

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - meerajsr2309@gmail.com