गीत/नवगीत

अपनी यादों को घर में दफ़न मत करो…

•गीत•

आज ऐसा गलत तुम जतन मत करो,
अपनी यादों को घर में दफ़न मत करो,
मैंने आँसू की बूँदों से सींचा इसे,
इस गुलिस्तां को उजड़ा चमन मत करो|

हर नज़र से बचाकर हिफाज़त करी,
रात भर जागकर ठीक हालत करी,
मैंने उत्तम तुम्हारा चरित्र किया,
अपनी ममता के रस से पवित्र किया,
मैला अपना ये प्यारा बदन मत करो,
आज ऐसा गलत तुम जतन मत करो,
अपनी यादों को घर में दफ़न मत करो|

नासमझ थे जहाँ तक मैं माँ सी लगी,
जब समझ आई तो तुमको फाँसी लगी,
वक्त दौड़ा है अब मंद लम्हें बचे,
ज़िंदगी कट चली चंद लम्हें बचे,
कुछ बचे हैं दिनों का पतन मत करो,
आज ऐसा गलत तुम जतन मत करो,
अपनी यादों को घर में दफ़न मत करो|

-गीतकार योगेन्द्र जीनगर “यश”,राजसमंद

योगेन्द्र जीनगर

मेरा नाम योगेन्द्र जीनगर "यश" S/o सुंदर लाल जीनगर है| मैं कांकरोली,राजसमंद (राजस्थान) का निवासी हूँ| मेरी उम्र 21 वर्ष है| वर्तमान में स्नातक में अध्ययनरत हूँ और मैंने बी.एस.टी.सी. अध्यापक प्रशिक्षण किया है| मेरी रूचि हिन्दी रचनाएँ लिखने में है|