ग़ज़ल- बहाना चाहिये था
हमारे पास आना चाहिये था.
उसे कुछ तो बताना चाहिये था.
सही लगता वो चाहे चूक जाता,
निशाना तो लगाना चाहिये था.
नया रिश्ता न बन पाया भले ही,
पुराना तो निभाना चाहिये था.
ज़रूरत तो बता ही दी थी उसको,
हमें क्या गिड़गिड़ाना चाहिये था?
किसी से कुछ नहीं हमने कहा जब,
उसे भी तो छिपाना चाहिये था.
नदी के पास क्या जाता समंदर?
नदी को पास जाना चाहिए था.
समझता प्यार की ऊँचाइयाँ क्यों,
उसे ऊँचा घराना चाहिये था.
उसे तो दूर ही जाना था हमसे,
ज़रा सा बस बहाना चाहिये था.
डॉ. कमलेश द्विवेदी
मो.9415474674