शिव स्तुति (मनहरण कवित्त)
आशुतोष वर देते, सारी पीड़ा हर लेते,
सुरासुर देव शिव, सर्वहितकारी है |
तन पे लगाएं भस्म, शिखर सजाएं चन्द्र,
बाघम्बरधारी शिव, अतिमनोहारी है |
गले फणी माल सोहे, नयन विशाल मोहे,
त्रिनेत्र त्रिलोकपति, ये त्रिशूलधारी है |
हलाहल पीकर के, शिव नीलकण्ठ बने,
महाकाल महादेव,भवबाधा हारी है |
बहुत ही बढ़िया रचना !
हार्दिक आभार आदरणीय