जिओ बेटी जिओ…
जिओ बेटी जिओ, जिओ बेटी जिओ
रियो को अपने नाम कियो।
तुम देती हो सम्मान हर बार
हम हर बार अपमान दियो, जिओ…
हम तरसे थे इक पाने को
तूने दो-दो पदक दियो, जिओ…
बेटों की टोली को बिटिया ने
लियो-लियो कियो, जिओ…
जिओ बेटी जिओ, जिओ बेटी जिओ
रियो को अपने नाम कियो।
कमतर कहाँ आज बेटी है
वो बीडीओ है और सीओ, जिओ…
माँ का दूध नसीब कहाँ
हर बार उपेक्षा का ही घूंट पियो, जिओ…
बेटी है पराया धन मुकेश
समाज ने यही मंत्र दियो, जिओ…
दुख की चादर पहाड़ जैसा
उस पर भी हथौड़ा दियो, जिओ…
जिओ बेटी जिओ, जिओ बेटी जिओ
रियो को अपने नाम कियो।
जो गर्भ में मारे बेटी को
उसने भी खुशी का इजहार कियो, जिओ…
मुकेश करता रब से यही एक विनती
बेटी तू सौ-सौ साल जिओ।
जिओ बेटी जिओ…
मन की बात कहने का आपका प्रयास अच्छा लगा ।
दिल से शुक्रिया