श्याम
मन में बसी श्याम की मनमोहक काया।
अधरों पे सजे बांसुरी जाने सुर क्या सजाया।
भूल गई सब काम धाम मैं देखो सखी री,
ह्रदय उस मोर मुकुट संग जब से लगाया।
कहीं धुन मघुर बजाए कहीं माखन है चुराए,
देख देख भोली सूरत दिल न कभी भर पाया।
रास जब रचाए है श्याम सखियों के संग,
हर सखी नृत्य करे श्याम संग जाने कैसी माया।
राधा का असीम प्यार कहीं मीरा का इंतज़ार,
पाकर भी श्याम को है सच में जाने किसने पाया।।।
कामनी गुप्ता ***
जम्मू !
प्रिय सखी कामनी जी, अति सुंदर व सार्थक रचना के लिए आभार.
धन्यवाद जी !