आओ हिंदी दिवस मनाएँ (व्यंग्य कविता )
आओ हिंदी दिवस मनाएं,
आओ हिंदी दिवस मनाएं,
अंग्रेजी के चरण पखारें, हिंदी को धकियाएं,
गंगा-यमुना की घाटी में , आंग्ल-ध्वजा लहराएं.
आओ हिंदी————————————-,
आंग्ल वाणी में ज्ञान बसा है, हिंदी पिछड़ों की भाषा है,
अंग्रेजों तुम भारत आओ, हम सबको इंग्लिश सिखलाओ,
पिछड़ी पट्टी की भाषा को, दूर चलो धकियाएं,
आओ हिंदी—————————————,
एक दिवस हिंदी को अर्पित, शेष दिवस अंग्रेजी जय हो,
एक दिवस हिंदी का वंदन, शेष दिवस हिंदी का क्षय हो,
हिंदी का उत्सव आया है, उसको श्रद्धा-सुमन चढ़ाएं,
आओ हिंदी——————————————-,
“प्यारे जगाते हुए हारे सब तारे तुम्हें”, पर न जगे तुम,
महाप्राण का काव्य थक गया , बापू के सपने सब टूटे,
स्वाभिमान का भाव सुप्त है, हम सोते को कहाँ जगाएं,
आओ हिंदी दिवस मनाएं,
- वीरेंद्र परमार
सटीक व्यंग्य!
सटीक व्यंग्य!