Author: *वीरेन्द्र परमार

पुस्तक समीक्षा

साहित्य की सड़ांध को उजागर करनेवाला उपन्यास

हिंदी साहित्य का आसमान कुटिल साहित्यकारों, पक्षपाती आलोचकों और मूर्ख संपादकों से गंधित है I जिन साहित्यकारों से सहृदय होने

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पुस्तक समीक्षा

आदिवासी समाज और साहित्य चिंतन : साहित्य की विविध विधाओं की अभिव्यक्ति

डॉ जनक सिंह मीना और डॉ कुलदीप सिंह मीना के संपादन में सद्यःप्रकाशित पुस्तक ‘आदिवासी समाज और साहित्य चिंतन’ में

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पुस्तक समीक्षा

ब्रह्मपुत्र से सांगपो : एक सफरनामा

नैसर्गिक सौंदर्य, सदाबहार घाटी, वनाच्‍छादित पर्वत, बहुरंगी संस्‍कृति, समृद्ध विरासत, बहुजातीय समाज, भाषायी वैविध्‍य एवं नयनाभिराम वन्‍य-प्राणियों के कारण देश

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पुस्तक समीक्षा

‘मुझे सब याद है’ में समरसता का संदेश

लोकजीवन से खाद–पानी, रस–राग और मिट्टी की सोंधी गंध ग्रहण कर अपनी कथाकृतियों को आकार देनेवाले हिंदी के वरिष्ठ कथाकार

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