कविता

एक आश अभी भी बाकी है

मुश्किलें हैं जितनी चाहे,
हो गई बंद सारी राहें,
तो भी जीना सिर उठाएँ,
एक आश अभी भी बाकी है।
लड सके आँधी तूफानोँ से,
भिड सके ठोस चट्टानोँ से,
टकराएँ ऊँचे पहाडो से,
एक जोश अभी भी बाकी हैं।
ना होना तू अब नीरव,
जीवित तू, नहीँ है शव,
करना है तुझे विप्लव,
एक चाह अभी भी बाकी है।
हो भले तू कितना भी श्रान्त,
बनना तुझे सिँह विक्रान्त,
जागृत करना है ये प्रान्त,
एक जज्बा अभी भी बाकी है।
हारकर न हो व्याकुल,
ना हो इतना शोकाकुल,
हो जा फिर प्रयासातुर,
एक जीत अभी भी बाकी है।
एक आश अभी भी बाकी है ।

नीतू शर्मा 'मधुजा'

नाम-नीतू शर्मा पिता-श्यामसुन्दर शर्मा जन्म दिनांक- 02-07-1992 शिक्षा-एम ए संस्कृत, बी एड. स्थान-जैतारण (पाली) राजस्थान संपर्क- [email protected]