ऐसे ही लोग महान कहलाते हैं
कुछ लोग
साबुन से साबुन को धुलवाते हैं
पानी के बिना ही जी भरकर नहाते हैं
तौलिए के बिना भी आसानी से काम चलाते हैं
फिर भी महान कहलाते हैं
कुछ लोग
एकत्रित किए गए चंदे के धन का दुरुपयोग करते-करवाते हैं
रिश्वत के माल-पानी से अपने जीवन-रथ को चलाते हैं
मजबूरों की मजबूरी का खुलकर लाभ उठाते हैं
फिर भी महान कहलाते हैं
कुछ लोग
अपने तनिक-से दुख से ही आग बबूला हो जाते हैं
दूसरों का दुख देखकर मुफ़्त में बैंड-बाजे बजवाते हैं
गरीबों के खून से जन्म-जन्मांतर की भूख-प्यास मिटाते हैं
फिर भी महान कहलाते हैं
कुछ लोग
इनसां की कद्र करना ही नहीं जानते हैं
पारस को भी नहीं पहचानने का ढौंग रचाते हैं
निज स्वार्थ ही साधने को अपना सब कुछ मानते हैं
फिर भी महान कहलाते हैं
कुछ लोग
कुर्सी से फेवीकोल के मज़बूत जोड़ की तरह चिपक जाते हैं
एक बार कुर्सी पकड़कर छोड़ने से कतराते हैं
कुर्सी के लिए ही जीते हैं, कुर्सी के लिए ही मर जाते हैं
फिर भी महान कहलाते हैं
कुछ लोग
दिखावे के लिए कन्या-पूजन को सबसे बड़ा पुण्य मानते हैं
हवस पूरी करने हेतु अपनी ही बेटी की आबरू भी लूटते और लुटवाते हैं
मात्र धन को ही अपना सगा संबंधी मानते हैं
फिर भी महान कहलाते हैं
कुछ लोग
न्याय की तुला के साए में ही कानून को धत्ता बताते हैं
अनुशासन और नियमों के पालन में अपनी हेठी मानते हैं
नकारात्मक बातों के लिए स्वयं सहित सबको ही उकसाते हैं
फिर भी महान कहलाते हैं
कुछ लोग
अपने समय की बरबादी करते हैं
दूसरों के समय की कीमत भी नहीं जानते हैं
एक सेकिंड कहकर दो घंटे प्रतीक्षा करवाते हैं
फिर भी महान कहलाते हैं
काश!
आज फिर कोई गांधी-सुभाष-शास्त्री जैसा लाल पैदा हो जाए
जो सच्ची कुर्बानी देकर ही सबको ही सत्पथ भी दिखलाए
जिसे देखकर बरबस ही मुंहं से निकल जाए
ऐसे ही लोग महान कहलाते हैं
बहुत अच्छी कविता जो ह्रदय को छूती है। आज स्वामी दयानंद जी, सुभाष जी व शास्त्री जी सहित सावरकर जी और सरदार पटेल जी जैसे नेताओं की आवश्यकता है जो पक्षपात और तुष्टिकरण आदि अनेक दोषों से सर्वथा मुक्त हों और ईश्वरीय ज्ञान वेदों के प्रति निष्ठां रखने वाले हों।
प्रिय मनमोहन भाई जी, आपकी प्रतिक्रिया भी मनमोहक है. एक सटीक एवं सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.
प्रिय मनमोहन भाई जी, आपकी प्रतिक्रिया भी मनमोहक है. एक सटीक एवं सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.
प्रिय सखी लीला जी ,सत्य को बड़ी ही रोचकता से प्रस्तुत किया है ,कविता का सारतत्व बहुत शानदार है ,बधाई आपको
काश!
आज फिर कोई गांधी-सुभाष-शास्त्री जैसा लाल पैदा हो जाए
जो सच्ची कुर्बानी देकर ही सबको ही सत्पथ भी दिखलाए
जिसे देखकर बरबस ही मुंहं से निकल जाए
प्रिय सखी रमा जी, सारतत्व को ग्रहण करने के लिए जैसी सारमय दृष्टि की अर्हता होती है, वह आपके पास है, इसलिए हमें हमारी ही लिखी कविता के महत्त्व का आभास हो पाया. एक सटीक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.
लीला बहन , कविता में झूठ और सच का अंतर दिखा दिया, जिस का सारांश आखिर में बता दिया ,
काश!
आज फिर कोई गांधी-सुभाष-शास्त्री जैसा लाल पैदा हो जाए
जो सच्ची कुर्बानी देकर ही सबको ही सत्पथ भी दिखलाए
जिसे देखकर बरबस ही मुंहं से निकल जाए
ऐसे ही लोग महान कहलाते हैं कविता की जितनी भी तारीफ करो,कम पढ़ जायेगी .
प्रिय गुरमैल भाई जी, आपकी प्रतिक्रिया की भी जितनी भी तारीफ की जाए, कम पड़ जायेगी. एक सटीक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.
बहन जी प्रणाम बहुत सुंदर विचार
प्रिय राजकिशोर भाई जी, एक सटीक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.
श्रद्धेय बहनजी ! आज आपने अपनी सशक्त लेखनी के जरिये समाज के तथाकथित महान लोगों की वास्तविकता को उजागर किया है । एक अप्रतिम सुन्दर रचना के लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद ।
प्रिय राजकुमार भाई जी, ऐसे महान लोग अपनी वास्तविकता से स्वतः ही परिचित होते हैं. एक सटीक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.