पिता पहचान हैं
अंतर्राष्ट्रीय पितृ दिवस पर विशेष
पिता आकाश हैं,
आकाश में धूप हैं,
धूप में कवच हैं.
पिता मित्र हैं,
मित्रों में सुदामा हैं,
पिता ही श्रीकृष्ण हैं.
पिता उपनिषद हैं,
उपनिषदों में कठोपनिषद हैं,
कठोपनिषद में नचिकेता हैं.
पिता विश्वास हैं,
प्रेम के मधुमास हैं,
प्रेम के अहसास हैं.
पिता पहचान हैं,
पिता लुकमान हैं,
पिता के बिना हलकान हैं.
पिता हर्ष हैं,
विचार-विमर्श हैं,
भटकने लगूं तो परामर्श हैं.
पिता मित्र हैं,
मित्रों में सुदामा हैं,
पिता ही श्रीकृष्ण हैं. वाह किया बात उचार्ण की है , अतिअंत सुन्दर कविता .
प्रिय गुरमैल भाई जी, एक लाजवाब, नायाब और सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.
पिता हर्ष है विचार विमर्श हैं भटकने लगूं तो परामर्श हैं ……..वाह ! गागर में सागर जैसा । एक और उत्कृष्ट रचना के लिए आपका आभार ।
प्रिय राजकुमार भाई जी, पिता महान हैं, वही हमारी पहचान हैं. एक नायाब और सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.