अनकहे से अल्फाज
अनकहे से अल्फाज
वर्षो से बन्द पडे जज्बात
कैसे करू जाहिर
किसके सामने कहूँ
कब कहूँ, क्यो कहूँ
कौन है सुनने वाला
इस व्यस्त जीवन में
सभी वेदनायें को
दिल में छुपायें बैठी हूँ
कहने मे भी सकुचाती हूँ
कोई सुनेगा या नही
बस यही बैठे सोचती हूँ|
निवेदिता चतुर्वेदी