कुण्डली/छंदधर्म-संस्कृति-अध्यात्म

विनती

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देखूँ आप को ही कण कण में विराजमान,

आपकी ही श्रुति का श्रवण करें कान हैं ।

चित्त में हो आपका ही चिंतन प्रत्येक क्षण,

वाणी से हो सदा आपका ही गुणगान है ॥

विनती है आपसे विशेष हे दया के सिंधु !,

कृपा करके दीजिये मुझे ये वरदान है ।

लिखने को कलम उठाये जब भी जितेन्द्र,

कविता में लिखे आपका ही कीर्तिगान है ॥

जितेन्द्र तायल

उम्र - ४२ वर्ष शिक्षा - हिंदी में एम. ए. , YMCA इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग से पोस्ट डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MBA - आई टी, प्रयाग संगीत समिति इलाहबाद से संगीत प्रभाकर I व्यवसाय से इंजीनियर हूँ किंतु बचपन से हिन्दी व संस्कृत से लगाव रहा है ! इसी कारण मैने हिन्दी से स्नातकोत्तर भी किया ! कभी कभी कुछ लिखने का प्रयास करता हूँ, कृपया आशीर्वाद प्रदान करें ! मो. +91 9818003947

2 thoughts on “विनती

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा कवित्त !

    • जितेन्द्र तायल

      प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद !

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