बाल कविता

मेरे पापा

सुबह से लेकर शाम तक बस चलते रहते पापा।
सारी फरमाइशें मेरी यूं झट से पूरी करते पापा।

जब मैं स्कूल से आऊं थक कर फिर सो जाऊं;
काम से आकर भी मेरे सारे नखरे सहते पापा।

ममी भी काम करे पर कछ तो वो आराम करे;
ज़िम्मेदारियां घर की उठाते पर नहीं थकते पापा।

ममी मुझको प्यारी दीदी भी जीभर के प्यार करे;
पर सबसे अच्छे सबसे प्यारे मुझको लगते पापा।

पापा मेरे हीरो हैं यूूंही उनके जैसा बन जाऊं मैं;
जल्दी से बस बड़ा हो जाऊं मैं जैसे लगते पापा।

पापा जैसे सबको खुशियां दूं गम बांट लूं सबके;
सबका ख्याल मैं भी रखूं जैसे हैं रखते पापा।।।
कामनी गुप्ता ***

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |

3 thoughts on “मेरे पापा

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब !

    • कामनी गुप्ता

      बहुत धन्यवाद सर जी !

    • कामनी गुप्ता

      बहुत धन्यवाद सर जी !

Comments are closed.