कविता

जल ही जीवन है

जीवन का आधार है जल,

हर पल रखें उसे निर्मल।

बिन जल के जीवन नहीं होता,

मानव के पापों को धोता।

शाक, तरकारी, अन्न और फल,

तब मिलते जब होता जल।

मानव हो या पशु-पक्षी,

सब इस निर्मल जल के भक्षी।

जल यदि हो जाएगा गन्दा,

फिर नहीं बच पाएगा बन्दा।

देह बनेगी रोगों का घर,

हैजा, मलेरिया और कहीं ज्वर।

निर्मलता का ध्यान रखें सब,

लाभ मिलेंगे हम सबको तब।

दूर रखें हर तरफ का मैला,

चाहे हो वह पाॅलीथीन थैला।

आईये एक कदम हमारे साथ

जल संरक्षण को एक मुहिम बनायें

— डा. मधु आंधीवाल

डॉ. मधु आंधीवाल

पति - डा. सी.के. आंधीवाल जन्म तिथि- 3-1-1957 पता - 1/64 ,सुरेन्द्र नगर ,अलीगढ़ राजनीति भाजपा पार्टी 3 बार नगर निगम अलीगढ़ की पार्षद रही हूँ । सक्रिय राजनीति में हूँ । शिक्षा - एम.ए, बी.एड, एल.एल.बी, पी- एच डी साहित्यिक फेसबुक ग्रुपों में रचनाये, मोमस्प्रेसो में ब्लॉग , शीरोज एप पर रचनाये,हिन्दी प्रतिलिपि एप पर रचनाएँ ,दैनिक जागरण और स्वदेश समाचार पत्र ,प्रवासी संदेश बोम्बे, द ग्राम टुडे अन्य समाचार पत्रों में पत्र और रचनाएँ ,स्टोरी मिरर एप पर रचनाये लिखती हूँ और बहुत प्रशस्ति पत्र मिले हैं।दो काव्य संग्रहों में भी मेरी कविताओं का संग्रह प्रकाशित हुआ है। madhuandhiwal53@gmail.com 9837382780

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