कविता

मुझे अच्छा लगता है

दोस्तों के साथ उठना बैठना गप्पें लड़ाना

सुबह की सैर पर निकलना ठहाके लगाना

पार्क में बैठ कर पुरानी बातों को याद करना

बच्चों को खेलते देख कर बचपन में खो जाना

मुझे अच्छा लगता है

मुश्किल वक्त में किसी के काम आना

बच्चों से मिल कर बच्चों सा बन जाना

दूसरों को खुश देख कर खुश हो जाना

गम में किसी के शामिल हो आना

मुझे अच्छा लगता है

गांव की गलियों में यूं ही घूम आना

मंदिर में जाकर जोर से घंटी बजाना

बटबृक्ष के नीचे बैठकर यादों में खो जाना

बुजुर्गों को रिश्ता लगाकर बुलाना

मुझे अच्छा लगता है

अपनों संग मिलकर खुशी का जश्न मनाना

पुराना मधुर सा कोई गीत गुनगुनाना

दुनियाँ में लगा रहेगा यूं ही सबका आना जाना

मन ही मन यह सोचकर मुस्कुराना

मुझे अच्छा लगता है

गांव के खेत में काम करना हल चलाना

खेतों में दूर दूर तक घूमने निकल जाना

रास्ते में मिलने वालों से बतियाना

अपने घर के आंगन में जमीन पर बैठ जाना

मुझे अच्छा लगता है

— रवींद्र कुमार शर्मा

*रवींद्र कुमार शर्मा

घुमारवीं जिला बिलासपुर हि प्र

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