तुम बस गई हो अब मेरे नयनो में॥
हर पल हर क्षण याद बन गई हो तुम।
मेरे दिल जिगर मे घर कर गई हो तुम।
अधुरा सा लगता है अब सब तेरे बीन,
अब तुम घर कर गई हो मेरे चैनो में।
तुम बस गई हो अब मेरे नयनो में॥
हर पल की बाते तेरी यादों में आती है।
भोली सी सुरत तेरी,नजरों पे छा जाती है।
बातबात पर रुठना और मान जाना तेरा,
स्मृति पटल पर छा गया मेरे रैनो में।
तुम बस गई हो अब मेरे नयनों में॥
जब हँसती थी मेरा दिल खिल उठता था।
नजरों से देखती थी मन खुश रहता था
बात बात पर जोर जोर से हसना तेरा
हर बात को दोहराना अपने दोस्तों में
अब तुम बस गई हो अब मेरे नैनो में॥
__________________रमेश कुमार सिंह