भजन/भावगीत

प्रार्थना – मधुर वचन ही बोलूँ मुख से

तर्ज – फूल तुम्हें भेजा है खत में

 

हाथ जोड़ कर विनय करूँ प्रभु, मुझ को यह वरदान दो,

मधुर वचन ही बोलूँ मुख से, ऐसी मुझे जुबान दो ॥

 

मुँह खोलूँ तो मीठा बोलूँ, जैसे मिश्री घोली हो ,

सोच समझ कर वचन उचारूँ, बातें नापी-तोली हों,

दुश्मन को भी अपना कर ले, ऐसी मीठी बोली हो ।

वाणी की वीणा पर हरदम , मीठी मीठी तान दो ॥

मधुर वचन ही बोलूँ मुख से, ऐसी मुझे जुबान दो ॥

 

मरहम लगा सकूँ न अगर तो, नमक न छिड़कूँ घाव में ,

गाली भी दे मुझको कोई, उत्तर न दूँ  ताव में ,

भला बुरा सुन कर भी सबसे, सहज रहूँ बर्ताव में ।

बातें सुन कर चार चुप रहूँ, सहनशक्ति भगवान् दो ॥

मधुर वचन ही बोलूँ मुख से, ऐसी मुझे जुबान दो ॥

 

छोटा बड़ा सबल निर्बल मैं ,यथा योग्य व्यवहार करूँ ,

इस जीवन का लक्ष्य समझ, हर प्राणी का उपकार करूँ,

गलती हो यदि मुझसे कोई, मैं सहर्ष स्वीकार करूँ ।

बन ‘जितेन्द्र’ जीऊँ जग में, यह वर प्राणों के प्राण दो   ॥

मधुर वचन ही बोलूँ मुख से, ऐसी मुझे जुबान दो ॥

जितेन्द्र तायल

उम्र - ४२ वर्ष शिक्षा - हिंदी में एम. ए. , YMCA इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग से पोस्ट डिप्लोमा इंजीनियरिंग , MBA - आई टी, प्रयाग संगीत समिति इलाहबाद से संगीत प्रभाकर I व्यवसाय से इंजीनियर हूँ किंतु बचपन से हिन्दी व संस्कृत से लगाव रहा है ! इसी कारण मैने हिन्दी से स्नातकोत्तर भी किया ! कभी कभी कुछ लिखने का प्रयास करता हूँ, कृपया आशीर्वाद प्रदान करें ! मो. +91 9818003947