गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

कदम कदम पे सूतूर-ए-कहकशाँ कर दे
खुदा चाहे तो सितारे ज़मीन पर भर दे

सभी के पाँव तले बिछा दे मखमली चादर
जमीं चाहें जब रास्तों को गुलिस्तां कर दे

झुके तो ज़मीं पर लुटा दे खुशी के मोती
उठे जो आसमां उड़ान का हौसला भर दे

बिखेर दे हर सिम्त महक मोगरों की
बहे हवा तो माहौल खुशनुमा कर दे

सजा के जुगनू खिला के फलक पे सितारे सारे
निखरती रात उजाले की चाँदनी भर दे

दर-ओ-दीवार को सजा के अपने हाथों से
भर के एहसास कोई चाहे तो उसको घर कर दे

धनक सी फैल जाये हर शगुफ्ता चेहरे पर
सुरमुयी श़ाम चेहरों पे वोह सुर्खी भर दे

जल उठे नाम मेरा दिये की तरह अँधेरे में
खुदा शख्सियत मेरी इतनी तो मोअतबर कर दे

कि ज़र्रा ज़र्रा कायनात का नज़राना दिया करता है !!

शिप्रा खरे

नाम:- शिप्रा खरे शुक्ला पिता :- स्वर्गीय कपिल देव खरे माता :- श्रीमती लक्ष्मी खरे शिक्षा :- एम.एस.सी,एम.ए, बी.एड, एम.बी.ए लेखन विधाएं:- कहानी /कविता/ गजल/ आलेख/ बाल साहित्य साहित्यिक उपलब्धियाँ :- साहित्यिक समीर दस्तक सहित अन्य पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित, 10 साझा काव्य संग्रह(hindi aur english dono mein ) #छोटा सा भावुक मेरा मन कुछ ना कुछ उकेरा ही करता है पन्नों पर आप मुझे मेरे ब्लाग पर भी पढ़ सकते हैं shipradkhare.blogspot.com ई-मेल - [email protected]