गीत : बिहारी, फूल बरसाओ, शहाबुद्दीन आया है
(“बहारों फूल बरसाओ” के अंदाज़ में बिहार में शहाबुद्दीन के स्वागत में ये पंक्तियाँ पढ़िए और फिर रफ़ी के अंदाज़ में गाईये)
बिहारी, फूल बरसाओ, शहाबुद्दीन आया है
तमंचे खूब लहराओ, शहाबुद्दीन आया है
ओ लालू फूल की मेहंदी लगा इन भूरे बालों में
उतर आया है जंगलराज देखो फिर खयालों में
नितिश बाबू सुधर जाओ, शहाबुद्दीन आया है
नज़ारो हर तरफ अब तान दो बन्दूक और रायफल
बड़ा सनकी दरिंदा है, न हो जाए ये फिर पागल
शरीफो, घर में छुप जाओ, शहाबुद्दीन आया है
सजाई है जवां गुंडों ने फिर से सेज दहशत की
लो घिर आयी घटा सीवान में अब फिर से आफत की
जिसे मर्जी हो धमकाओ, शहाबुद्दीन आया है
बिहारी, फूल बरसाओ….
— कवि गौरव चौहान
बहुत खूब !
बहुत खूब !