कविता
बैठकर जब हम दोनों बातें करते थे।
एक दूजे को नजरों से देखा करते थे॥
आती हैं सब यादें जब तुम मिलती थी।
सामने ही फूलों की तरह खिलती थी॥
पहली बार मैंने तुमको जब देखा।
तुमने भी अपनी नजरों से मुझको देखा॥
उसी दिन से प्यार का अंकुरण हुआ।
हम दोनों के हाथों से सिंचित हुआ॥
धिरे- धिरे प्यार अब छलकने लगा।
दोनो का समय अब निकलने लगा॥
पता नहीं किसकी नजर इस पर पड़ी।
हमारे प्यार की कड़ी हुई खड़ी॥
धिरे धिरे एक दूजे से बिछड़ने लगे।
यादों को लेकर अपने अपने गली चले॥
________________रमेश कुमार सिंह