क्रांति लानी होगी
क्रांति लानी होगी
वो अखंड जोत फिर से जलानी होगी
ये बँटवारा कब तक चलेगा हिंद का हिंद में
मानुष को भारती की लाज फिर से बचानी होगी
क्रांति लानी होगी
वो अजेय धुन शंख की फिर से बजानी होगी
पहुँचे इन बहरों के अंतर्मन तक वो संगीत
एक ऐसी वीणा की तान सजानी होगी
क्रांति लानी होगी
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक एक कहानी होगी
नेता,राजनिति, धर्म के लिबास को उतार कर
मसाल हाथ में आज़ादी की सबने बात ठानी होगी
क्रांति लानी होगी
— परवीन माटी