चोर
चोरी हुई है मेरे पैसों की
मेहनत का भरा हुआ घड़ा
लूट लिया पल भर में
छिन ली रोटी थाली से
कईयों की पल भर में
शातिर दिमाग को भला
क्या पता कौन सोया भूखा
रात भर
दीन- ईमान नहीं होता
किसी भी चोर का
वो तो धरती पर बोझ होते हैं
उनसे बढिया हैं वो
जो मेहनत कर
पुल के नीचे सोते हैं
नशे की लत चोरी
करवा सकती है
बीच बाजार में पुरे खानदान
को मिट्टी में मिला सकती है
फरेबी चेहरा गवाही
भी एक मझें हुए कलाकार
की तरहा देता है
मगर दुख एक बात का और
आ ठहरा दिल में
वो तो सरकारी मुलाजिम का
ही बेटा है
चोर चोरी करेगा जरूर
होता है उसको अपनी चालाकी
पर गुरूर
मेरा दिन-रात सब ठहरा है
जब से ये घटना हुई है
खाना-पिना कुछ ध्यान नहीं
बस चिंता खाये जा रही है
पल भर में सड़क पर ला दिया
भोले पन का ऐसे फायदा लिया
— परवीन माटी