“मनहर घनाक्षरी”
भावना श्रृंगार लिए, रस छंद भाव पिए, हिंदी छेड़े मीठी तान, गान मान गाइए
प्रकृति से प्यार करें, गाँव से दुलार करें, शहरी सिनेमा संग, देखिए दिखाइए
साहित्य पुकारे मान, मनहरे कवि गान, घनाक्षरी कवित्त की, महिमा सुनाइए
हिल-मिल गौतम जी, देश राग उत्तम जी, मौसी-माँ बहन बोली, मत विसराइए।।
देश-विदेश प्रदेश में, हिंदी शिव गणेश में, जायसी रसखान का, अमृत पी जाइए
कबीर सुर तुलसी का, पढ़ें प्यार हुलसी का, मीरा माँ की चाहना, राणा राग गाइए
वेद पुराण कहत, नीति कुरान चहत, महावीर गौतम से, सीख शुद्ध पाइए
माँ भारती की महिमा, काश्मीर की गरिमा, हिमालय का ललाट, तिलक लगाइए।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी