ब्लॉग पर एक वर्ष पूर्ण
जनवरी 13 के प्रथम सप्ताह में नवभारत टाइम्स (नभाटा) में ब्लॉग लिखते हुए मुझे एक वर्ष पूरा हो गया. मैंने इस अवसर का उपयोग अपने लेखों पर दृष्टि डालने और उन पर टिप्पणी करने वाले पाठकों को याद करने के लिए किया. इस लेख को पाठकों ने बहुत पसंद किया और उस पर सकारात्मक टिप्पणियाँ कीं. इसका लिंक नीचे दे रहा हूँ ताकि इस लेख और उस पर आई हुई टिप्पणियों को आप पढ़ सकें.
ब्लॉग पर मेरा एक वर्ष
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/Khattha-Meetha/entry/%E0%A4%AC-%E0%A4%B2-%E0%A4%97-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%AE-%E0%A4%B0-%E0%A4%8F%E0%A4%95-%E0%A4%B5%E0%A4%B0-%E0%A4%B7
इस लेख में सबसे पहले मैंने अपने ब्लॉग का उद्देश्य स्पष्ट किया और इसको लिखने में हुए कुछ अनुभवों को साझा किया.
आगे मैंने उस सज्जनों को याद किया जो स्वयं भी ब्लॉग लिखते थे और मेरे ब्लॉग पर प्रायः टिप्पणियाँ किया करते थे. इनमें एकाध नाम छूट गया था जो मैंने बाद में जोड़ दिया. इनके साथ ही मैंने उन ब्लोगरों को याद किया जो पहले मेरे विरोधी थे और तब तक मित्र बन गए थे.
इसके बाद मैंने उन सज्जनों को स्मरण किया जो ब्लॉग तो नहीं लिखते थे, परन्तु मेरे लेखों पर प्रायः मेरे समर्थन में टिप्पणियाँ किया करते थे. ऐसे सज्जनों की बड़ी संख्या थी, परन्तु मैंने उनमें से कुछ अधिक सक्रिय पाठकों का ही नाम दिया था.
अंत में मैंने अपने विरोध में कमेंट करने वाले सज्जनों को याद किया. इनमें अधिकांश मुसलमान थे जो प्रायः जाली हिन्दू नाम रखकर कमेंट किया करते थे. उनमें से बहुत से कमेंट अशोभनीय भी होते थे, जिनको मैं ब्लॉग पर नहीं आने देता था. उनके ईमेल पते से उनके असली नाम का पता चल जाता था, जिसको मैं प्रायः प्रकट कर देता था. इस पर कई मुस्लिम बहुत नाराज होते थे और कमेंट करना बंद कर देते थे या मुझे गालियाँ देते थे. पर मैंने ऐसे लोगों की चिंता कभी नहीं की.
पहले एक वर्ष के ब्लॉग लेखन में मेरे लेखों का विषय प्रायः इतिहास और राजनीति ही रही. लेकिन एक वर्ष पूरा होने पर मैंने तय किया कि अब दूसरे विषयों पर भी लिखूंगा जैसे स्वास्थ्य, धर्म, गणित, साहित्य आदि. बीच बीच में मैं व्यंग्य भी लिखता था, जिनको बहुत पसंद किया जाता था, हालाँकि कुछ लोग तिलमिला भी जाते थे.
— विजय कुमार सिंघल
आश्विन कृ. 2, सं. 2073 वि. (18 सितम्बर 2016)