संस्मरण

नभाटा ब्लॉग पर मेरे दो वर्ष – 18

ब्लॉग पर एक वर्ष पूर्ण
 
जनवरी 13 के प्रथम सप्ताह में नवभारत टाइम्स (नभाटा) में ब्लॉग लिखते हुए मुझे एक वर्ष पूरा हो गया. मैंने इस अवसर का उपयोग अपने लेखों पर दृष्टि डालने और उन पर टिप्पणी करने वाले पाठकों को याद करने के लिए किया. इस लेख को पाठकों ने बहुत पसंद किया और उस पर सकारात्मक टिप्पणियाँ कीं. इसका लिंक नीचे दे रहा हूँ ताकि इस लेख और उस पर आई हुई टिप्पणियों को आप पढ़ सकें.
ब्लॉग पर मेरा एक वर्ष
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/Khattha-Meetha/entry/%E0%A4%AC-%E0%A4%B2-%E0%A4%97-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%AE-%E0%A4%B0-%E0%A4%8F%E0%A4%95-%E0%A4%B5%E0%A4%B0-%E0%A4%B7
इस लेख में सबसे पहले मैंने अपने ब्लॉग का उद्देश्य स्पष्ट किया और इसको लिखने में हुए कुछ अनुभवों को साझा किया.
आगे मैंने उस सज्जनों को याद किया जो स्वयं भी ब्लॉग लिखते थे और मेरे ब्लॉग पर प्रायः टिप्पणियाँ किया करते थे. इनमें एकाध नाम छूट गया था जो मैंने बाद में जोड़ दिया. इनके साथ ही मैंने उन ब्लोगरों को याद किया जो पहले मेरे विरोधी थे और तब तक मित्र बन गए थे.
इसके बाद मैंने उन सज्जनों को स्मरण किया जो ब्लॉग तो नहीं लिखते थे, परन्तु मेरे लेखों पर प्रायः मेरे समर्थन में टिप्पणियाँ किया करते थे. ऐसे सज्जनों की बड़ी संख्या थी, परन्तु मैंने उनमें से कुछ अधिक सक्रिय पाठकों का ही नाम दिया था.
अंत में मैंने अपने विरोध में कमेंट करने वाले सज्जनों को याद किया. इनमें अधिकांश मुसलमान थे जो प्रायः जाली हिन्दू नाम रखकर कमेंट किया करते थे. उनमें से बहुत से कमेंट अशोभनीय भी होते थे, जिनको मैं ब्लॉग पर नहीं आने देता था. उनके ईमेल पते से उनके असली नाम का पता चल जाता था, जिसको मैं प्रायः प्रकट कर देता था. इस पर कई मुस्लिम बहुत नाराज होते थे और कमेंट करना बंद कर देते थे या मुझे गालियाँ देते थे. पर मैंने ऐसे लोगों की चिंता कभी नहीं की.
पहले एक वर्ष के ब्लॉग लेखन में मेरे लेखों का विषय प्रायः इतिहास और राजनीति ही रही. लेकिन एक वर्ष पूरा होने पर मैंने तय किया कि अब दूसरे विषयों पर भी लिखूंगा जैसे स्वास्थ्य, धर्म, गणित, साहित्य आदि. बीच बीच में मैं व्यंग्य भी लिखता था, जिनको बहुत पसंद किया जाता था, हालाँकि कुछ लोग तिलमिला भी जाते थे.
— विजय कुमार सिंघल
आश्विन कृ. 2, सं. 2073 वि. (18 सितम्बर 2016)

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]