कविताब्लॉग/परिचर्चा

उड़ी ने नींद उड़ाई है

उड़ी की दुर्दांत घटना ने नींद उड़ाई है,
यह आतंकी हमला और कायराना लड़ाई है,
अभी भले ही चुप है, एक दिन कहेगी सारी दुनिया
उड़ी में हुई निहत्थे जवानों की बेमौत विदाई है.

 

मैं राह चलते-चलते इन्हीं विचारों में थी खोई,
”क्या इसी दिन के लिए हमने जवानों की उपज थी बोई!”,
तभी दो युवा लड़के दौड़कर चढ़ रहे थे चढ़ाई,
मानो जवान कह रहे थे- ”हम भले ही सदा के लिए सो गए,
पर मानवता अभी भी जगी हुई है, नहीं है सोई”.

 

”यही सच है” हमारे जवान अभी भी कह रहे हैं,
”पाकिस्तान नहीं होगा” जैसी जोशीली कविता पढ़ रहे हैं,
चुपके-चुपके वे कर रहे हैं खुद को जवाब के लिए तैयार,
कह रहे हैं- ”इसका समय और जगह का चुनाव हमारा होगा”.

 

हमारी आंखों में भले ही है दुःख के अश्रुओं-जनित नमी,
शहीदों के परिवारों में नहीं है बहादुरी की कमी,
शहीद रवि पाल के 10 साल के बेटे वंश की नज़रें,
फौज का डॉक्टर बनकर पिता का सपना पूरा करने पर हैं जमी.

 
किसी ने लिखा- ”बॉर्डर पर वीर मर रहे हैं”,
”वीर मरते नहीं शहीद होते हैं.” शहीदों के परिवार कह रहे हैं,
”वे बहिन की डोली विदा करने के पहले भले ही विदा हो जाएं,
उनका बेटा भी सेना का जवान बनकर,
अपने पिता के उन कामों को पूरा करेगा, जो अभी अधूरे रह रहे हैं.”

 
उड़ी अटैक के बदले की मांग की उठती आवाजों का शोर हैं,
यह भी सभी मानते हैं, इसका परिणाम बड़ा घनघोर है,
पाकिस्तान की परमाणु गीदड़ भभकी महज भभकी न रही,
तो होना बेतहाशा बेकसूर लोगों की तबाही का अंदेशा पुरज़ोर है.

 
इसलिए एक-एक कदम फूंक-फूंककर बढ़ाना होगा,
दुश्मन की हैवानियत का सही अंदाज़ा लगाना होगा,
उस ने तो अपनी ज़ात और औकात दिखादी है,
हमें अपनी शान को बरकरार रखकर हर कदम उठाना होगा.

 
यही कह रही है आज इशारों से शहीदों की आत्मा,
मत होने देना हमारी तरह चुपके-से किसी बेकसूर का खात्मा,
अन्याय न सहना और जवाब देना समय की मांग है,
उनकी तो इंसानियत मर गई है, हमें माफ़ नहीं करेगा परमात्मा.

 

 

उन शहीदों को कोटिशः सलाम, जिनकी हुई बेमौत विदाई है,
देश रहेगा सलामत हमने यह कसम खाई है,
जाग उठने की घड़ी आई है, अब सोएंगे नहीं,
उड़ी की दुर्दांत घटना ने नींद उड़ाई है.

 

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244