नई कविता
दिल को दहला देने वाली घटना को अंजाम दिया।
वो पीठ पीछे वार करके आंसुओं का सैलाब दिया।
मानव ही आकर मानव पर यहां अत्याचार किया।
अचानक छावनी पर गोली-बारुद का बौछार किया।
किस तरह के जालिम हैं लोग जो ऐसा विचार किये।
किस तरह के रहतें हैं लोग जो इनको पनाह दिये।
कहतें हैं हमारी मजहब में भरी हुई ईमानदारी है।
मरने को तैयार होकर आते हैं कैसी वफादारी है।
सुख-चैन और शान्तिः अमन इनसे ना देखी जाती है।
खून-खराबा करते और मातम फैलाने के आदि हैं।
किस देश से नाता इनका और कहाँ पर ठिकाना है।
किसने इनको जगह दिया किसने साधा निशाना है।
सरकार के मौन बैठने से नहीं काम चलनेवाला है।
जागो देश के जवानों नहीं तो बूरा हाल होनेवाला है।
मारनेवाला मारकर यहाँ अपना रास्ता देख लिया।
नेताओं ने वीर सपूतों को समझौता से गवां दिया।
सिर्फ पाक से समझौता कर नहीं बात बननेवाला है।
मूह तोड़ जबाब देकर ताकत का अहसास दिलाना है।
जब साक्ष्य मिल गया तो पाक पर पलट तुम वार करों।
फिर बाद की प्रक्रिया,संयुक्त राष्ट्र संघ से गुहार करों।
____________________________@रमेश कुमार सिंह
18-09-2016